NCERT कक्षा 12 इतिहास: संपूर्ण इंटरैक्टिव टाइमलाइन
यह टाइमलाइन आपको कक्षा 12 के इतिहास के पाठ्यक्रम को एक सरल और आकर्षक तरीके से समझने में मदद करेगी। प्रत्येक अध्याय को प्रमुख घटनाओं में विभाजित किया गया है। आप किसी भी घटना पर क्लिक करके उसके बारे में विस्तृत जानकारी और परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण तथ्य जान सकते हैं।
भाग 1: ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ: हड़प्पा सभ्यता
ऐतिहासिक संदर्भ: मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का सबसे प्रसिद्ध पुरास्थल है, जो अपनी अनूठी शहरी योजना के लिए जाना जाता है। शहर दो भागों में विभाजित था: एक छोटा लेकिन ऊँचाई पर बना 'दुर्ग' और दूसरा कहीं अधिक बड़ा लेकिन नीचे बनाया गया 'निचला शहर'
विशेषताएँ:
- ग्रिड-पैटर्न: सड़कें और गलियाँ एक-दूसरे को लगभग समकोण पर काटती थीं।
- उन्नत जल निकासी प्रणाली: घरों से गंदे पानी को निकालने के लिए ढकी हुई नालियों का एक व्यवस्थित नेटवर्क था।
- विशाल स्नानागार (The Great Bath): दुर्ग में स्थित एक आयताकार जलाशय, जिसका उपयोग शायद विशेष अनुष्ठानों के लिए किया जाता था।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: दुर्ग और निचले शहर का विभाजन, ग्रिड-पैटर्न, जल निकासी प्रणाली, और विशाल स्नानागार का उद्देश्य।
ऐतिहासिक संदर्भ: हड़प्पा के लोग शिल्प उत्पादन में अत्यधिक कुशल थे। चन्हुदड़ो जैसे स्थल शिल्प उत्पादन के प्रमुख केंद्र थे।
विशेषताएँ:
- विविध सामग्री: कार्नीलियन, जैस्पर, सेलखड़ी, ताँबा, कांसा और सोने जैसी सामग्रियों का उपयोग होता था।
- सुदूर क्षेत्रों से संपर्क: ओमान से तांबा, मेसोपोटामिया के साथ व्यापार के पुरातात्विक साक्ष्य (हड़प्पाई मुहरें) मिले हैं।
- बाट और माप: व्यापार को नियंत्रित करने के लिए मानकीकृत बाट और माप की एक सटीक प्रणाली थी।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: चन्हुदड़ो (शिल्प केंद्र), लोथल (बंदरगाह), मेसोपोटामिया के साथ व्यापार के साक्ष्य।
भाग 2: राजा, किसान और नगर
ऐतिहासिक संदर्भ: छठी शताब्दी ई.पू. भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसे प्रारंभिक राज्यों, शहरों, लोहे के बढ़ते उपयोग और सिक्कों के विकास से जोड़ा जाता है। बौद्ध और जैन धर्म सहित कई दार्शनिक विचारधाराओं का उदय हुआ।
विशेषताएँ:
- सोलह महाजनपद: बौद्ध और जैन ग्रंथों में वज्जि, मगध, कोसल, कुरु, पांचाल जैसे सोलह महाजनपदों का उल्लेख है।
- मगध का उदय: मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद के रूप में उभरा। इसके शक्तिशाली होने के कारण उपजाऊ भूमि, लोहे की खदानें और शक्तिशाली शासक (बिम्बिसार, अजातशत्रु) थे।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: 16 महाजनपदों के नाम, मगध के उत्कर्ष के कारण।
ऐतिहासिक संदर्भ: चंद्रगुप्त मौर्य ने 321 ई.पू. में मौर्य साम्राज्य की स्थापना की। यह साम्राज्य अशोक के समय में अपने चरम पर पहुंचा।
विशेषताएँ:
- विशाल साम्राज्य: यह साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर कर्नाटक तक फैला हुआ था।
- अशोक का धम्म: कलिंग युद्ध के बाद, अशोक ने युद्ध की नीति त्याग दी और 'धम्म' का प्रचार किया। धम्म बड़ों का आदर, दासों के प्रति उदार व्यवहार और सभी धर्मों का सम्मान करने की एक नैतिक संहिता थी।
- प्रशासन: साम्राज्य को चलाने के लिए एक विस्तृत प्रशासनिक व्यवस्था थी, जिसकी जानकारी मेगस्थनीज की 'इंडिका' और कौटिल्य के 'अर्थशास्त्र' से मिलती है।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: अशोक के अभिलेख, धम्म की मुख्य शिक्षाएँ, मौर्य प्रशासन की विशेषताएँ।
भाग 3: बंधुत्व, जाति तथा वर्ग
ऐतिहासिक संदर्भ: महाभारत, जो कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध की कहानी है, उस समय के सामाजिक मानदंडों और मूल्यों को समझने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। 1919 में वी.एस. सुकथंकर के नेतृत्व में इसका समालोचनात्मक संस्करण तैयार करने की परियोजना शुरू हुई।
विशेषताएँ:
- यह ग्रंथ हमें उस काल के बंधुत्व, विवाह के नियमों, पितृवंशिकता और सामाजिक व्यवहारों के बारे में जानकारी देता है।
- इसमें धर्म और नैतिकता पर विस्तृत चर्चा है, विशेष रूप से भगवद्गीता में।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: वी.एस. सुकथंकर की परियोजना, महाभारत से मिलने वाली सामाजिक जानकारी।
ऐतिहासिक संदर्भ: धर्मसूत्रों और धर्मशास्त्रों जैसे ब्राह्मणवादी ग्रंथों ने समाज के लिए नियम निर्धारित किए। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण वर्ण व्यवस्था थी।
विशेषताएँ:
- वर्ण व्यवस्था: समाज को चार वर्णों में विभाजित किया गया था: ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र। इसे एक दैवीय व्यवस्था माना जाता था।
- जाति: वर्ण के अलावा, जन्म पर आधारित कई जातियाँ और उप-जातियाँ भी थीं, जो सामाजिक स्तरीकरण को और जटिल बनाती थीं।
- विवाह के नियम: ग्रंथों में आठ प्रकार के विवाहों का उल्लेख है। 'बहिर्विवाह पद्धति' (गोत्र से बाहर विवाह) को आदर्श माना जाता था।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: चार वर्णों के कार्य, बहिर्विवाह और अंतर्विवाह, संपत्ति पर अधिकार (स्त्रीधन)।
भाग 4: विचारक, विश्वास और इमारतें
ऐतिहासिक संदर्भ: छठी शताब्दी ई.पू. में गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की। यह धर्म ब्राह्मणवादी परंपराओं की जटिलताओं और जाति व्यवस्था की प्रतिक्रिया के रूप में उभरा।
शिक्षाएँ:
- चार आर्य सत्य: दुःख है, दुःख का कारण है, दुःख का निवारण है, और निवारण का मार्ग (अष्टांगिक मार्ग) है।
- मध्यम मार्ग: अत्यधिक विलासिता और अत्यधिक तपस्या दोनों से बचने का उपदेश।
- अहिंसा और करुणा: सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया का भाव।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: बुद्ध की मुख्य शिक्षाएँ, त्रिपिटक (बौद्ध ग्रंथ), संघ की भूमिका।
ऐतिहासिक संदर्भ: स्तूप (जिसका अर्थ टीला है) एक पवित्र बौद्ध स्थल होता था, जहाँ बुद्ध या अन्य प्रमुख भिक्षुओं के अवशेष रखे जाते थे। साँची का स्तूप सबसे प्रसिद्ध है, जिसे मूल रूप से अशोक ने बनवाया था।
संरचना:
- अंड: अर्ध-गोलाकार टीला।
- हर्मिका: अंड के ऊपर एक छज्जे जैसी संरचना, जो देवताओं के घर का प्रतीक थी।
- यष्टि और छत्र: हर्मिका से निकलने वाला मस्तूल और उसके ऊपर लगी छतरी।
- वेदिका और तोरण: पवित्र स्थल को घेरने वाली बाड़ और अलंकृत प्रवेश द्वार।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: स्तूप की संरचना, तोरण द्वारों पर उकेरी गई जातक कथाएँ, साँची के संरक्षण में भोपाल की बेगमों का योगदान।
भाग 5: यात्रियों के नज़रिए
ऐतिहासिक संदर्भ: अल-बिरूनी 11वीं सदी में उज्बेकिस्तान से भारत आया। उसने संस्कृत सीखी और भारतीय दर्शन, विज्ञान और सामाजिक रीति-रिवाजों का अध्ययन किया।
विशेषताएँ:
- किताब-उल-हिन्द: अरबी में लिखा गया यह ग्रंथ धर्म, दर्शन, खगोल विज्ञान, रीति-रिवाजों और सामाजिक जीवन का विस्तृत वर्णन है।
- तुलनात्मक अध्ययन: वह अक्सर भारतीय प्रथाओं की तुलना यूनानी दर्शन से करता था।
- समस्याएँ: उसने भारतीय समाज को समझने में आने वाली बाधाओं (भाषा, धार्मिक प्रथाओं में भिन्नता) का भी उल्लेख किया।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: अल-बिरूनी का उद्देश्य, किताब-उल-हिन्द की विषय-वस्तु, जाति-व्यवस्था पर उसके विचार।
ऐतिहासिक संदर्भ: 14वीं सदी में मोरक्को से आया इब्न बतूता एक विश्व यात्री था। उसने मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दिल्ली की यात्रा की और उसे दिल्ली का काज़ी नियुक्त किया गया।
विशेषताएँ:
- रिहला: अरबी में लिखा गया उसका यात्रा-वृत्तांत भारतीय शहरों (विशेषकर दिल्ली), संचार प्रणाली (डाक व्यवस्था), और अद्वितीय वस्तुओं (नारियल, पान) का रोचक वर्णन करता है।
- शहरी केंद्र: उसने शहरों को अवसरों से भरपूर बताया।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: इब्न बतूता द्वारा वर्णित संचार प्रणाली (उलूक और दावा), दिल्ली शहर का वर्णन।
भाग 6: भक्ति-सूफी परंपराएँ
ऐतिहासिक संदर्भ: दक्षिण भारत में शुरू हुए भक्ति आंदोलन ने ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत प्रेम और समर्पण पर जोर दिया। इसने जाति-पाति और कर्मकांडों का विरोध किया।
प्रमुख धाराएँ:
- अलवार: विष्णु के भक्त संत-कवि।
- नयनार: शिव के भक्त संत-कवि। इन संतों ने स्थानीय भाषाओं में भजन गाकर भक्ति का प्रचार किया।
- वीरशैव (लिंगायत): 12वीं सदी में कर्नाटक में बासवन्ना के नेतृत्व में यह आंदोलन शुरू हुआ। इन्होंने जाति-व्यवस्था और ब्राह्मणवादी कर्मकांडों का तीव्र विरोध किया।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: अलवार और नयनार में अंतर, बासवन्ना की शिक्षाएँ, जाति-प्रथा पर भक्ति संतों के विचार।
ऐतिहासिक संदर्भ: सूफीवाद इस्लाम का एक रहस्यवादी आयाम है, जो ईश्वर के साथ व्यक्तिगत अनुभव और प्रेम पर बल देता है। भारत में चिश्ती और सुहरावर्दी जैसे कई सूफी सिलसिले (परंपराएँ) विकसित हुए।
विशेषताएँ:
- खानकाह: सूफी संतों का निवास स्थान, जो सामाजिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र था।
- ज़ियारत: सूफी संतों की दरगाह पर की जाने वाली तीर्थयात्रा।
- कव्वाली: ईश्वर की भक्ति में गाए जाने वाले संगीतमय भजन।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: चिश्ती सिलसिला (जैसे निजामुद्दीन औलिया, मोइनुद्दीन चिश्ती), खानकाह की भूमिका, सूफीवाद की प्रमुख मान्यताएँ।
भाग 7: एक साम्राज्य की राजधानी: विजयनगर
ऐतिहासिक संदर्भ: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 14वीं सदी में हरिहर और बुक्का नामक दो भाइयों ने की थी। कृष्णदेव राय इस साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासक थे।
विशेषताएँ:
- जल-प्रबंधन: तुंगभद्रा नदी से नहरों द्वारा शहर तक पानी लाने की अद्भुत व्यवस्था थी, जैसे हिरिया नहर।
- किलेबंदी: शहर को कई परतों में किलेबंद किया गया था, जिसमें कृषि क्षेत्रों को भी शामिल किया गया था।
- राजकीय केंद्र: इसमें 'महानवमी डिब्बा' और 'कमल महल' जैसी संरचनाएँ थीं। महानवमी डिब्बा एक विशाल मंच था जिसका उपयोग अनुष्ठानों के लिए होता था।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: कृष्णदेव राय का शासनकाल, महानवमी डिब्बा का महत्व, जल-संपदा प्रबंधन।
भाग 8: किसान, जमींदार और राज्य
ऐतिहासिक संदर्भ: 16वीं और 17वीं सदी में भारत की लगभग 85% आबादी गाँवों में रहती थी। कृषि उत्पादन ही मुगल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार था।
विशेषताएँ:
- किसान (रैयत): किसान दो प्रकार के थे - 'खुद-काश्त' (जो अपनी ज़मीन पर खेती करते थे) और 'पाहि-काश्त' (जो दूसरे गाँवों में किराए पर खेती करते थे)।
- जिन्स-ए-कामिल: इसका अर्थ है 'सर्वोत्तम फसलें'। कपास और गन्ने जैसी फसलें अधिक राजस्व देती थीं, इसलिए राज्य इन्हें बढ़ावा देता था।
- ग्रामीण समुदाय: गाँव में पंचायत होती थी जिसका मुखिया 'मुकद्दम' या 'मंडल' कहलाता था।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: खुद-काश्त और पाहि-काश्त में अंतर, जिन्स-ए-कामिल का अर्थ, ग्रामीण पंचायत की भूमिका।
भाग 9: शासक और इतिवृत्त (मुगल दरबार)
ऐतिहासिक संदर्भ: मुगल शासकों ने अपने शासनकाल का इतिहास लिखवाने पर विशेष ध्यान दिया, जिन्हें 'इतिवृत्त' (Chronicles) कहा जाता है। ये इतिवृत्त साम्राज्य और दरबार की घटनाओं का लेखा-जोखा रखते थे।
प्रमुख इतिवृत्त:
- अकबरनामा: अबुल फ़ज़्ल द्वारा लिखा गया। यह तीन भागों में है, जिसका तीसरा भाग 'आइन-ए-अकबरी' है। यह अकबर के शासनकाल का विस्तृत विवरण देता है।
- बादशाहनामा: शाहजहाँ के शासनकाल का इतिहास, जिसे अब्दुल हमीद लाहौरी ने लिखा था।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: अबुल फ़ज़्ल की भूमिका, आइन-ए-अकबरी की विषय-वस्तु, इतिवृत्त लिखने के उद्देश्य।
भाग 10: उपनिवेशवाद और देहात
ऐतिहासिक संदर्भ: 1793 में, लॉर्ड कॉर्नवॉलिस ने बंगाल में 'इस्तमरारी बंदोबस्त' या 'स्थायी बंदोबस्त' लागू किया। इसके तहत, राजाओं और तालुकदारों को जमींदार के रूप में मान्यता दी गई और उन्हें एक निश्चित राजस्व राशि सरकार को चुकानी होती थी।
परिणाम:
- जमींदार समय पर राजस्व नहीं चुका पाते थे, जिससे उनकी जमीनें नीलाम हो जाती थीं।
- किसानों (रैयत) पर बोझ बहुत बढ़ गया।
- गाँवों में 'जोतदार' नामक धनी किसानों का एक नया वर्ग उभरा, जो जमींदारों को चुनौती देने लगा।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: स्थायी बंदोबस्त की शर्तें, जमींदारों की विफलता के कारण, जोतदारों का उदय।
भाग 11: विद्रोही और राज (1857 का विद्रोह)
ऐतिहासिक संदर्भ: 10 मई 1857 को मेरठ छावनी में सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया, जो जल्द ही उत्तर भारत के एक बड़े हिस्से में फैल गया।
कारण और पैटर्न:
- तात्कालिक कारण: चर्बी वाले कारतूस, जिन्हें गाय और सुअर की चर्बी से बनाया गया था, हिंदू और मुस्लिम दोनों सिपाहियों की धार्मिक भावनाओं को आहत करते थे।
- विद्रोह का पैटर्न: विद्रोह एक निश्चित क्रम में होता था - पहले सैन्य विद्रोह, फिर शहर पर कब्ज़ा और सरकारी खजाने को लूटना।
- अफवाहें और भविष्यवाणियाँ: "आटे में हड्डी का चूरा" और "प्लासी के 100 साल बाद ब्रिटिश राज खत्म हो जाएगा" जैसी अफवाहों ने विद्रोह को हवा दी।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: चर्बी वाले कारतूस की घटना, विद्रोह के फैलने का तरीका, अफवाहों की भूमिका।
भाग 12: औपनिवेशिक शहर
ऐतिहासिक संदर्भ: ब्रिटिश शासन के दौरान, पुराने शहरों का पतन हुआ और बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास जैसे नए औपनिवेशिक शहरों का उदय हुआ। ये शहर वाणिज्य, प्रशासन और सत्ता के नए केंद्र बने।
विशेषताएँ:
- 'व्हाइट टाउन' और 'ब्लैक टाउन': शहर नस्लीय आधार पर विभाजित थे। यूरोपीय 'व्हाइट टाउन' में रहते थे जो साफ-सुथरे और व्यवस्थित होते थे, जबकि भारतीय 'ब्लैक टाउन' में रहते थे जो भीड़भाड़ वाले और अस्वस्थकर होते थे।
- नई वास्तुकला: अंग्रेजों ने अपनी श्रेष्ठता दिखाने के लिए नई स्थापत्य शैलियाँ, जैसे नव-शास्त्रीय (Neoclassical) और नव-गॉथिक (Neo-Gothic), का प्रयोग किया।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: व्हाइट और ब्लैक टाउन में अंतर, हिल स्टेशनों का विकास, नव-गॉथिक शैली की इमारतें (जैसे बॉम्बे में विक्टोरिया टर्मिनस)।
भाग 13: महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन
ऐतिहासिक संदर्भ: 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद, महात्मा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया और इसे एक जन आंदोलन में बदल दिया।
प्रमुख सत्याग्रह:
- असहयोग आंदोलन (1920-22): चौरी-चौरा की हिंसक घटना के कारण इसे वापस ले लिया गया।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34): इसकी शुरुआत प्रसिद्ध 'दांडी यात्रा' से हुई, जिसमें गांधीजी ने नमक कानून तोड़ा।
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942): इसमें गांधीजी ने "करो या मरो" का नारा दिया।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: दांडी यात्रा का महत्व, असहयोग आंदोलन की वापसी का कारण, भारत छोड़ो आंदोलन का प्रभाव।
भाग 14: विभाजन को समझना
ऐतिहासिक संदर्भ: 1947 में भारत की स्वतंत्रता के साथ-साथ देश का विभाजन भी हुआ, जिससे पाकिस्तान का निर्माण हुआ। यह 20वीं सदी की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक थी।
कारण और परिणाम:
- कारण: मुस्लिम लीग द्वारा 'द्वि-राष्ट्र सिद्धांत' का प्रचार, सांप्रदायिक राजनीति का उदय, और कांग्रेस और लीग के बीच राजनीतिक सुलह की विफलता।
- परिणाम: बड़े पैमाने पर हिंसा, लाखों लोगों का विस्थापन, महिलाओं के खिलाफ क्रूर अत्याचार, और एक स्थायी राजनीतिक और भावनात्मक घाव।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: द्वि-राष्ट्र सिद्धांत, कैबिनेट मिशन (1946), विभाजन के दौरान महिलाओं के अनुभव।
भाग 15: संविधान का निर्माण
ऐतिहासिक संदर्भ: भारत का संविधान बनाने के लिए एक 'संविधान सभा' का गठन किया गया, जिसकी पहली बैठक दिसंबर 1946 में हुई। डॉ. बी.आर. अंबेडकर प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे।
प्रमुख बहसें:
- उद्देश्य प्रस्ताव: जवाहरलाल नेहरू द्वारा पेश किया गया, जिसने संविधान के मूल आदर्शों (न्याय, स्वतंत्रता, समानता) की रूपरेखा तैयार की।
- भाषा का प्रश्न: राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को लेकर लंबी बहस हुई, अंततः 'हिन्दुस्तानी' (हिंदी और उर्दू का मिश्रण) के बजाय हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाया गया।
- पृथक निर्वाचिका का मुद्दा: सरदार पटेल ने पृथक निर्वाचिका का जोरदार विरोध किया, क्योंकि यह देश को विभाजित करती।
परीक्षा के लिए मुख्य बातें: उद्देश्य प्रस्ताव का महत्व, डॉ. अंबेडकर की भूमिका, भाषा और पृथक निर्वाचिका पर बहस।
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